13 July 2017

सूरज का ब्याह

उड़ी एक अफवाह, सूर्य की शादी होने वाली है
वर के विमल मौर में मोती उषा पिराने वाली है
मोर करेंगे नाच, गीत कोयल सुहाग के गाएगी
लता विटप मंडप-वितान से वंदन वार सजाएगी
जीव-जन्तु भर गए खुशी से, वन की पाँत-पाँत डोली
इतने में जल के भीतर से एक वृद्ध मछली बोली-
‘‘सावधान जलचरो, खुशी में सबके साथ नहीं फूलो
ब्याह सूर्य का ठीक, मगर, तुम इतनी बात नहीं भूलो
एक सूर्य के ही मारे हम विपद कौन कम सहते हैं
गर्मी भर सारे जलवासी छटपट करते रहते हैं
अगर सूर्य ने ब्याह किया, दस-पाँच पुत्र जन्माएगा
सोचो, तब उतने सूर्यों का ताप कौन सह पाएगा ?
अच्छा है, सूरज क्वाँरा है, वंश विहीन, अकेला है
इस प्रचंड का ब्याह जगत की खातिर बड़ा झमेला है।’’

-रामधारी सिंह दिनकर 

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